राम नवमी पूजा विधि – शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती एवं हवन पूजन मंत्र | सम्पूर्ण जानकारी
जानें राम नवमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती और हवन पूजन मंत्र की सम्पूर्ण जानकारी। इस लेख में राम नवमी के महत्व, पारंपरिक विधि एवं आयोजन से जुड़े सभी पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
राम नवमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसमें भगवान राम के जन्म का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। कहा जाता है कि चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के मध्याह्न काल में भगवान राम का जन्म हुआ था, अतः यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवसर पर घरों और मंदिरों में भगवान राम की पूजा की जाती है और रामचरितमानस का पाठ किया जाता है। इस वर्ष राम नवमी 6 अप्रैल 2025 को मनाई जा रही है।
पूजा से संबंधित आवश्यक सामग्री
राम नवमी पूजा मुहूर्त 2025
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पूजा का शुभ मुहूर्त: 6 अप्रैल 2025, सुबह 11:08 से दोपहर 01:39 तक
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मध्याह्न क्षण: दोपहर 12:24
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नवमी तिथि की शुरुआत: 5 अप्रैल 2025, शाम 07:26
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नवमी तिथि का समापन: 6 अप्रैल 2025, शाम 07:22
राम नवमी के अवसर पर की जाने वाली गतिविधियाँ
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रामायण का पाठ: भक्तजन इस दिन रामायण का पाठ कर भगवान राम की लीलाओं का स्मरण करते हैं।
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रामरक्षा स्तोत्र का पाठ: भगवान की सुरक्षा हेतु रामरक्षा स्तोत्र का पाठ किया जाता है।
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भजन-कीर्तन: भक्तों द्वारा भजन-कीर्तन का आयोजन कर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया जाता है।
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मूर्ति सज्जा: भगवान राम की मूर्ति को फूलों और मालाओं से सजाकर पूजा की जाती है।
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मूर्ति को झुलाना: पारंपरिक रूप से मूर्ति को झुलाया भी जाता है, जिससे भक्तों का मन आनंदित होता है।
राम नवमी पूजा विधि
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स्नान एवं स्वच्छता: पूजा से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें तथा स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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षोडशोपचार विधि: राम नवमी की पूजा षोडशोपचार विधि के अनुसार करें।
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प्रसाद अर्पण: भगवान को खीर, फल तथा मूल प्रसाद अर्पित करें।
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तिलक विधि: पूजा समाप्ति के पश्चात घर की सबसे छोटी महिला द्वारा सभी सदस्यों के माथे पर तिलक लगाया जाता है।
राम नवमी पर कन्या पूजन
कई क्षेत्रों में राम नवमी के दिन कन्या पूजन की परंपरा भी मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि कन्या पूजन से माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। पूजन से पहले माता की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
राम नवमी पर हवन
इस दिन हवन का भी विशेष महत्त्व है। माना जाता है कि हवन करने से घर में सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रहती है, जिससे पारिवारिक वातावरण सदैव आनंदमय रहता है।
दो बार राम नवमी मनाने का कारण
भारत में साल में दो बार राम नवमी मनाई जाती है। पहली बार चैत्र नवरात्रि में भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में और दूसरी बार शारदीय नवरात्रि में रावण वध के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व हिंदुओं के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण है।
राम नवमी की आरती
आरती के शब्द:
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन,
हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन, कंज मुखकर,
कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी
नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि
शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश
दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल
चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक
चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु
कामादी खल दल गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि
सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू
सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी
सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी
मुदित मन मंदिर चली।।
जानि गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम
अंग फरकन लगे।।
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन
हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर,
कंज पद कन्जारुणम्।।]
इस प्रकार, राम नवमी का दिन भक्तों के लिए भगवान राम की भक्ति और आदर्शों का स्मरण कर उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का अवसर प्रदान करता है। पूजा, पाठ, हवन एवं आरती के माध्यम से भक्तजन भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम प्रकट करते हैं।